आजकल का मनुष्य की जिन्दगी एक मशीन बन के रह गयी है। जो भी अन्न, साग, सब्जी, फल वाले पदार्थ हम ग्रहण करते हैं वह सब पदार्थ यूरीया या अन्य द्रव्यों से बनी खाध डालकर उगाये जाते हैं। यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक है तथा हमारे रक्त के साथ खिलवाड़ करते हैं और फिर पैदा होता है शरीर में बीमारियों का मायाजाल। इन्हीं से वाय कुपित होकर शरीर के खाली स्त्रोतों वव नसों में भर्ती है और इंसान वातरोग का भयंकर रूप से शिकार हो जाता है। कुपि हुई वायु वर्षा 80 प्रकार के वात रोग पैदा करती है। जिनसे कमर का जोडो का दर्द, हाथों वव पैरों का दर्द, एडियो का दर्द, जोरो का जकड़ जाना, आमवात संधियों या ग्रन्थ का दर्द जिसे हाथों वह पैरों के जोडो का दर्द भी कहा जाता है। कमर स पैरों के टखने का दर्द जिसको कुछ लोग सिआटिका भी कहते हैं। यह सब ददॅ वायु कुपित हो जाने से उत्पन्न होते हैं। ददॅ इतने असहय होते हैं कि इनको बर्दाश्त करना कष्टप्रद होता है। अथॅराइटस रिसरिस एंड थैरेपी के अध्यन से इस तथ्य का पता चला है कि रूमेटाइड अथॅराइटिस किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है। आम ओस्टे अथॅराइटस से अलग यह रोग जोडों पर शरीर की प्रतिरोधक व्यवस्था के हमले के चलते होता है। इससे सूजन और ददॅ की शिकायत होती है। इस रोग से ग्रसित लोगों में मौत के मुख्य कारणों में दिल का दौरा और मस्तिष्क आघात होता है क्योंकि इस रोग के चलते सूजन होने से धमनियां प्रभावित होती है।
ऋषि मुनियों ने प्राकृतिक जडी बूटियों पर अनुसंधान कर केसरी मरहम के निर्माण द्वारा वात व्याधि जैसे 80 भयंकर रोगों का निदान किया है। इसके अलावा 40 प्रकार के निम्न रोगो में भी केसरी मरहम लाभदायक है।
ऋषि मुनियों ने प्राकृतिक जडी बूटियों पर अनुसंधान कर केसरी मरहम के निर्माण द्वारा वात व्याधि जैसे 80 भयंकर रोगों का निदान किया है। इसके अलावा 40 प्रकार के निम्न रोगो में भी केसरी मरहम लाभदायक है।
- सिरदर्द
- कमर दर्द
- पसलप ददॅ
- दांत व दाड का दर्द
- चोट
- मोच व सूजन
- जुकाम व नजला
- खांसी
- श्वास व दमा
- गाँठ
- गिल्टी पर
- टांसिल बढने पर
- घुटनों का दर्द
- जोडों का दर्द
- हाथों व पैरों का दर्द
- कंथो का दर्द
- एडियो का दर्द
- जोडो का जकड़ जाना
- अधरंग पर
- कमर से टखने का दर्द
- पेट फुलने पर
- पेट दद या गेस पर
- ताजे घाव का खून बंद करने के लिए
- पके घाव के चारो ओर सूजन पर
- फुसिंयों व फोडों के न पकने पर
- खाज व खुजली पर
- चम्बल पर
- एक्जीमा पर
- सोरायसीस पर
- पैर का तलुआ कटने पर
- विच्छु के काटने पर
- थकावट पर
- बरसात व पानी से पैरों के गलने पर
- ततैया के काटने पर
- मसूड़ों के सूजने पर
- मधुमक्खी के काटने पर
- हर्निया पर
- चिकनगुनिया के बाद का दर्द
- सर्वाइकल स्पोन्डिलाइटिस पर
- माइग्रेन के ददॅ
प्रयोग विधि
केसरी मरहम को रोग ग्रस्त जगह पर सवेरे व शाम हल्के हाथ से लगाये तथा चावल, दही व लस्सी का परहेज रखें। सिरदर्द, नजला, जुकाम व सदी, दमा आदि पर थोड़ी सी मात्रा में केसरी मरहम नाक के अन्दर लगायें तथा गरम पानी में मिलाकर भाप भी ले। शरीर के समस्त प्रकार के ददोॅ में केसरी मरहम सुबह व शाम को हल्के हाथ से मालिश करें तथा हवा न लगने दे, तुरन्त आराम मिलेगा। पेट फुलने पर, पेट ददॅ व गैस पर केसरी मरहम नाभि के चारों तरफ एवं नाभि के अंदर लगायें व पेट पर मले। दाँत, दाढ व मशूदे सूजने पर ददॅ वाले स्थान पर अन्दर लगायें, पानी मुह से बाहर आएगा। पके घाव पर, खाज व खुजली पर, सोरायीसीस पर, पैरों के फटने पर केसरी मरहम लगाने से आराम मिलता है। गाँठ गिल्टी व टांसिल होने पर लगा सकते हैं। Related Posts
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