गंगा
अमृत
हम लोग जीवन के कितने भी सवोॅकृष्ट सुख आँखो के द्वारा भोग सकते हैं। जिन लोगों का अच्छा चाहते हैं उनका सुख वह प्रसन्नता देख कर हम गौरवान्वित होते हैं। नीमा रहित, नील वणॅ आकाश, प्रशान्त समुद्र अन्य प्राकृतिक मनोहर दृश्यावली, माँ गंगा का मनोहर दृश्य, प्राकृतिक झरने व अन्य ऐसी वस्तुएं जिनको देखकर हम अपने नयनों को साथॅक कर सकते हैं। आँख न होने से प्राणी जीवन के सुखों से वंचित रहता है इसका बतलाना कठिन है। सिध्द्व पुरुष महान बाबा की असीम कृपा से तथा उनके मागॅ दशॅन से तथा हरिद्वार में माँ गंगा के तट पर उत्पन ताजी शुध्द्व जटी बूटियाँ द्वारा आँखों के लिए वरदान गंगा अमृत का निमाॅण कर लाखों लोगों की जिंदगी में नवीन रोशनी का संचार किया है। अनगिनत लोगों की आँखों में नव शक्ति का संचार किया है। जिस प्रकार जान है तो जहान है उसी प्रकार आँख है तो सबकुछ है। आँखों के बिना जीवन नरीस एवं अन्धकारमय रहता है। आँख शरीर की अमुल्य निधि है इसका ध्यान रखे। गंगा अमृत आँखों के समस्त रोगों को जड़ से नष्ट करती है।
गंगा अमृत आँखों में लगे चश्मे को उतारता है। नेत्रों में शक्ति की कमी को दूर कर नई शक्ति प्रदान करता है। पढते समय चश्मा लगाना, दूर व पास की वस्तु को मुश्किल से देखना, आँखों की कमजोरी, धुंधला दिखाई देना, गंगा अमृत आँखों में नई शक्ति का संचार कर तमाम कमजोरियों को जड़ मूल से नष्ट कर आँखों में नई चेतना जागृत करता है। चश्मे लगाने वाले बच्चे, नवयुवक, मातायें, बहने सभी कर सकते हैं। गंगा अमृत की नियमित 1-2 बूँद सवेरे नहाने के बाद दोनों आँखों में टपकाये। आँखों को कुछ समय 1-2 मिनट तक बंद रखे। आँखों के आगे रुमाल या साफ कपड़े से अंधेरा कर दें, रूमाल के अंधेरे में धीरे धीरे आँखों को खोलें। एक माह के प्रयोग से चश्मा लगानेवालो को चश्मा दूर या नजदीक का नंबर घट जायेगा तथा तीन माह के नियमित सेवन से चश्मे पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा जीवन आनंदमय हो जाता है। गंगा अमृत मधुमेह वालो के लिए वरदान है। मधुमेह से आँखों की रोशनी धीरे धीरे मंद पड़ जाती है। गंगा अमृत नियमित प्रयोग से मधुमेह के रोगी की रोशनी बढ़ती है। गंगा अमृत आँखों से कीचड व गंदला आना, आंखों से पानी आना, फुला, पडवाल, जाला, धन्य, लाली, रहें, कुकरे, जलन आँखों का थकना, एक वस्तु का कई बार नजर आना, चोट लगने से आँख खराब होना, गंगा अमृत सभी के लिए अमृत तुल्य है। गंगा अमृत चूंकि शुध्द्व जडी बूटियों द्वारा निर्मित है इसलिए इसका कोई दुष्प्रभाव या कोई अन्य दोष नहीं होता है।
गंगा अमृत आँखों में लगे चश्मे को उतारता है। नेत्रों में शक्ति की कमी को दूर कर नई शक्ति प्रदान करता है। पढते समय चश्मा लगाना, दूर व पास की वस्तु को मुश्किल से देखना, आँखों की कमजोरी, धुंधला दिखाई देना, गंगा अमृत आँखों में नई शक्ति का संचार कर तमाम कमजोरियों को जड़ मूल से नष्ट कर आँखों में नई चेतना जागृत करता है। चश्मे लगाने वाले बच्चे, नवयुवक, मातायें, बहने सभी कर सकते हैं। गंगा अमृत की नियमित 1-2 बूँद सवेरे नहाने के बाद दोनों आँखों में टपकाये। आँखों को कुछ समय 1-2 मिनट तक बंद रखे। आँखों के आगे रुमाल या साफ कपड़े से अंधेरा कर दें, रूमाल के अंधेरे में धीरे धीरे आँखों को खोलें। एक माह के प्रयोग से चश्मा लगानेवालो को चश्मा दूर या नजदीक का नंबर घट जायेगा तथा तीन माह के नियमित सेवन से चश्मे पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा जीवन आनंदमय हो जाता है। गंगा अमृत मधुमेह वालो के लिए वरदान है। मधुमेह से आँखों की रोशनी धीरे धीरे मंद पड़ जाती है। गंगा अमृत नियमित प्रयोग से मधुमेह के रोगी की रोशनी बढ़ती है। गंगा अमृत आँखों से कीचड व गंदला आना, आंखों से पानी आना, फुला, पडवाल, जाला, धन्य, लाली, रहें, कुकरे, जलन आँखों का थकना, एक वस्तु का कई बार नजर आना, चोट लगने से आँख खराब होना, गंगा अमृत सभी के लिए अमृत तुल्य है। गंगा अमृत चूंकि शुध्द्व जडी बूटियों द्वारा निर्मित है इसलिए इसका कोई दुष्प्रभाव या कोई अन्य दोष नहीं होता है।
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बी. सी. हासाराम एण्ड सन्स
अपर रोड, हरिद्वार 249401
उत्तराखंड, भारत
दूरभाष : 01334 227860, 225760
फैक्स : 01334 227712
मो.: 09837027478, 09927866778, 09837794184
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